Friday

कश्मकश


नहीं बयां कर पाऊँगी कभी
अपना हाल - ए - दिल तेरे सामने
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.


तू ना जान सका मेरे दिल में छुपा राज
कभी ना जान पाएगा मेरी खामोशी का राज
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.

 
रुसवा नहीं हूँ तुझसे, पर अपनी जिंदगानी से
थमा दी किसी के दिल की डोर मेरे हाथो में
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.


खता नहीं ये तेरी, मेरी ही लाचारी है
हीरे को ठुकराकर दर- दर की ठोकर खानी है 
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.


मै नहीं वो खुशनसीब जिसे तू खुश रख सके
मै वो हूँ जो तुझे कभी खुश कर नही सकती
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.


दोस्ती मे प्यार ढूंढती रही तेरी रूह
संसार मे खुद को तलाशती मेरी रूह है 
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.

 
पल-दो-पल की ख़ुशी, जीवन भर का गम
ऐसे नहीं महफूज रह सकते हम
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.


पनाह दे ना सकी एक घायल परिंदे को
माफ़ करना ऐ- खुदा इस बेबस बंदी को 
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.


टूट जाएँगे कई दिल, थम जाएंगी कई सांसे 
जो ना जोड़ पाई मै एक टूटी हुई ईमारत
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.


निकल पड़ी हूँ एक ज्योत जलाने 
छोड़ एक का साथ,दूजो को मिलाने
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.


बख्श देना मुझे नादाँ समझकर
नही कर पाई एक दिल की हिमायत
ये कैसी मुश्किल है, ये कैसी कश्मकश है.

5 comments:

  1. Loved it...especially this line "संसार मे खुद को तलाशती मेरी रूह है".

    It also reminded me of my glorious high school days when i used to make so much notes on Hindi poetries and prose. You made me nostalgic *cries silently inside the heart* :'(

    ReplyDelete
    Replies
    1. It's my first Hindi poem. I am happy to receive your words as a token of appreciation. Thank- you. :)

      Delete
  2. Ya, you should write more...there is a dearth of good Hindi writers these days

    ReplyDelete
  3. Nyc poem I like hindi poem most..and u write it so well

    ReplyDelete

Dont leave before leaving your words here. I will count on your imprints in my blogspace. :)