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गुलाबी मखमली में लिपटी
देख अपनी नन्ही गुड़िया
काला दिठौना लगाया माँ ने
चाँद से सुन्दर मुख पे उसके |
हरे पालने में सावन के झूलो का आनंद लेती
पापा की शहज़ादी पल भर में ही नन्ही कली से
गुलाब की पँखुडियों-सी कोमल लाड़ो बन गई |
नीली स्कूल युनिफ़ॅार्म कब कॅालेज की
सलवार कमीज़ में बदल गई
माँ को यकीन न हुआ
कलेजे पे पत्थर रख अपनी लाडो को
भेजा दूर शहर |
सफ़ेद कोट पहनकर मरीजो का इलाज
करने का सपना संजोये
अपनी काली कजरारी आँखों में
निकल पड़ी अनजान चेहरों के बीच
अपने चेहरे को पहचान दिलाने
माँ की प्यारी नीले आसमान के तले |
नई कोंपल की भांति अपना
गुलशन खिलाने ही वाली थी वो
की कमबख्त दीमक की आँखों को
भा गई हमारी कमसीन कली
बेदर्दी से उसकी नाजुक पंखुड़ियों को रोंदकर
दीमक ने उसे चखना चाहा |
वीरांगना की भांति लड़ी हमारी कली
हिलोरे मारकर दूर करना चाहा दीमक को
लेकिन द्रोपदी का इतिहास फिर जीवित हुआ
कोई कृष्णा नहीं आया उसकी लाज बचाने
आये कई दुर्योधन उसे अपनी जांघो पे बिठाने
फिर किया दु:शासन ने उसका चीर हरण |
लाल चुनरी जिसे ओढानी थी
ओढाई गई उसे सफ़ेद चादर
पंच तत्व में विलीन उसकी रूह को राहत देने
पांचो पांडव की भांति देश ने मिल प्रतिज्ञा ली
ठाना दु:शासन के शासन का अंत करने का |
जितना लम्बा इंतज़ार किया बेटी ने माँ के गर्भ में
उतना ही इंतजार किया बेटी की माँ ने
जब आया फैसला उन दरिंदो को
फांसी के तख्ते पर लटकाने का
चैन की सांस मिली बेटी की भटकती रूह को
जो बस अंत समय तक यही कहती रही
"मै बेटी हूँ मेरी माँ की
लाडली हूँ मेरे पापा की
आँखों का तारा हूँ सबकी "
और आज दूर काले नभ में
झिलमिला रहा है हमारा ये तारा ख़ुशी- ख़ुशी |
Hioy'oy Hoi Polloi
JJJ
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Surbhi bahut touching kavita hai. Har shabd se aah nikalti hai.Phansi ki saza se ma ka dil kuch kuch sambhala hoga.
ReplyDeleteHum is dard ko kam to nahi kar sakte. Bus yahi dua hai ki wo maa aaj bhi aasman me taro ko jhilmilate dekh apni beti ki yaad me muskuraye.
DeleteSurbhi,this is awesome
ReplyDeleteThank-you Sir. :)
DeleteGood one surbhi, nice poem.....
ReplyDeleteThank-you Anonymous. I would be glad if you appear with your name in my space. :)
DeleteSory surbhi 4 comentd widout teling name, i likd ur poem d way u expresd, anyways my name is aditya
Deletebrimming eyes and raging soul.. समझ नही आ रहा की क्या कहूँ.. मेरे जज़्बात शब्दों से कम और आँखों से ज्यादा झलक रहे हैं।। बस यही कहूँगा awesum words
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