Saturday

मशरूफ यार

 
वो मस्ती भरे पल
वो दोस्ती वो यारी
आज भी खामोश वीरान
जिंदगी में खुशी के फूल
खिला जाती है |
 
कल तक  'हमेशा  साथ रहेंगे '
की कसमें  खाते थे
आज 'फिर मिलेंगे 'का झूठा वादा 
दोहराते  है |


ऑफिस  की दीवार पर 
टंगी  ये घड़ी  आज भी
खीच  ले जाती  है मुझे
अतीत की गहराईयों में |


जहाँ क्लास  ख़तम  होने   का
रहता  था  बेसब्री  से  इन्तेजार
लॉन में सजी महफ़िल में

गपशप  की अटेंडेंस लगानी होती थी|

पर आज कोई जल्दी नहीं है 
नहीं हे जल्दी रूम पर जल्दी पहुचने की
नहीं हे कोई दोस्त इन्तेजार में खड़ा
नहीं हो रहा हे लेट नेक्स्ट शो  के लिए|

वक़्त ही वक़्त है
बस काटने के लिए कोई
नटखट वजह नहीं है|


तब  एक  मिस्ड  कॉल भी
काफी था अपनी लोकेशन
बताने के लिए
पर आज एस.टी.डी की लम्बी बात 

 के बाद भी नहीं लगता वो फ़साना |

दूर निकल गए सब यार
प्रमोशन के पीछे भागते -भागते
आज नहीं छेड़ता  कोई 'तेरी भाभी है'
कहकर हँसी  के गुलगुले |


वक़्त कहा  है यार
इतनी  मीटिंग  इतने प्रोजेक्ट्स
बस हर बार का यही बहाना |


आज भी तरस जाती है ये आंखे
उन शैतान आँखों के इशारे समझने के लिए
लेकिन वो आंखे मशगुल है
प्रेजेंटेशन बनाने मे |


कभी इसी  चौराहे पर
सब साथ खड़े होकर
लड़ते थे किस रस्ते का आज रुख करेंगे
आज वही चौराहा सुनसान
पड़ा है हमारी अठखेलियों की खोई आवाज मे |


'मेरी दोस्ती  मेरा प्यार' के बोल
बन गए थे कभी जीने  का मकसद 
आज वही बोल  बेगाने  लगते  है |


तुम कितने मशरूफ हो गए
अपनी हाई-फाई  लाइफस्टाइल मे
की शर्म आती है तुम्हे आज
ऐसे मिडिल क्लास के दोस्त होने पे |


धुंधली यादों के टोकरे मे
आज भी तुम्हारा झुनझुना
बहुत सँभाल कर रखा हें मेने
कभी दिल करे बच्चा बनकर फिर से खेलने का
तो बेख़ौफ़ चले आना मेरे गलियारे में
ले चलेंगे तुम्हे वापिस तुम्हारे इनोसेंट गोल्डन ऐरा में |



Hioy'oy Hoi Polloi
JJJ

6 comments:

  1. nice one...
    it is one of your best creation.
    Loved it

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  2. Super duper... Hit post....!!! From every word... I remember my old days.... Which never came back.... Nyc poem keep writing

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    1. Bahut bahut Aabhar. :)
      Waqt ke sath sab badal jata hai, reh jati hai sirf kuch khatti-meethi yadein jinhe piro kar aap apne ateet ki tasveer ko aur bhi khushnuma bana sakte hai. :)
      Dhanyawad in lafjo ko FEEL karne ke liye. :P

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  3. lovely poem yar......
    aaj bhi mann krta h dosto k sath un mehfilon ko phir sajane ka....
    par kambhakt zamaana hum se kuch aur hi ummeed lagae baitha h...

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  4. लड़ना झगड़ना और एक दूजे को मनाना, था ये अपना रोज़ का काम, तेरी ही यादों में कट जाती अब ये शाम।। missing you :(

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