करनी थी बहुत बातें
कहने थे कुछ राज़
रह गई सब अनसुनी
रह गई सब अनकही
थोड़ी सी मोहलत थी
थोड़ी सी मुहब्बत थी
एक ठंडी बयार ने
ठंडा कर दिया उन्हें
चले गए वो दूर देश
छिप गए किसी अँधेरे कोने में
पर चाँद की आस में अभी भी कोई चकोर है
चांदनी अभी भी उसकी छाँव है
तारे अभी भी टिमटिमा रहे है
रौशनी उनके साथ है
बस हम ही हताश है
बदहवास अशांत है
किससे कहे जो कहना चाहते थे
शायद अब चुप्पी से ही बतियाना चाहे
शायद खुद को खुद का इंतज़ार है
खुद ही सुन लेंगे अनसुनी कहानी
खुद से ही कह देंगे अनकही दास्ताँ
शायद यही हमारी पहचान है
खुले आस्मां के तले हम खड़े
न जाने किसके इंतज़ार में
शायद उसी ठंडी बयार के
जो हमे भी ठंडा कर सके |
Hioy'oy Hoi Polloi
JJJ
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ReplyDeletewaha waha awesome every word have meaning... feeling thandi bahar when read this keep writing
ReplyDeleteA post from after a long gap.
ReplyDeleteBeautiful lines these are