Saturday

ठंडी बयार


करनी थी बहुत बातें
कहने थे कुछ राज़
रह गई सब अनसुनी
रह गई सब अनकही

थोड़ी सी मोहलत थी
थोड़ी सी मुहब्बत थी
एक ठंडी बयार ने
ठंडा कर दिया उन्हें
चले गए वो दूर देश
छिप गए किसी अँधेरे कोने में

पर चाँद की आस में अभी भी कोई चकोर है
चांदनी अभी भी उसकी छाँव है
तारे अभी भी टिमटिमा रहे है
रौशनी उनके साथ है
बस हम ही हताश है
बदहवास अशांत है

किससे कहे जो कहना चाहते थे
शायद अब चुप्पी से ही बतियाना चाहे
शायद खुद को खुद का इंतज़ार है
खुद ही सुन लेंगे अनसुनी कहानी
खुद से ही कह देंगे अनकही दास्ताँ

शायद यही हमारी पहचान है
खुले आस्मां के तले हम खड़े
न जाने किसके इंतज़ार में
शायद उसी ठंडी बयार के
जो हमे भी ठंडा कर सके |

Hioy'oy Hoi Polloi
JJJ
 

3 comments:

  1. ..........................................................................................................................

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  2. waha waha awesome every word have meaning... feeling thandi bahar when read this keep writing

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  3. A post from after a long gap.
    Beautiful lines these are

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