Sunday

आँचल




एक मेहरूनी कपड़ा रखता था मुझे हरदम मेहफ़ूज़ 
मेरे माथे की हर शिकन को छुपा लेता था ये 
हर दर्द हर मुशकिल का हल ढूंढ लेता था ये 
ये तेरा प्यार था या तेरी दुआ 
तेरा आँचल ही था मेरा सरमाया 

तेरे आँचल की भीनी खुशबू 
आज भी उतनी ही ताज़ा लगती है 
जैसे तू कल बैठ मेरे पास
फेर रही थी मेरे बालों में हाथ

कुछ कहने के लिए ज्यों ही सर उठाया मैने 
तो पाया सिर्फ एक मेहरूनी कपड़ा 
बेज़ान सूना फीका-सा एक कपड़ा 
मेरे अश्कों से भीगा एक कपड़ा 

वो साया जो था मेरा सरमाया 
छोड़ गया बस एक मेहरूनी कपड़ा 
बस उसी मेहरूनी कपड़े में 
कर लेता हूँ खुद को कैद 
जब भी होता हूँ खुद से ख़फ़ा |

¡Salud!
JJJ
 

5 comments:

  1. "पालने मेँ
    बेटी किसी को नही चाहिए
    मगर बिस्तर पर औरत हरेक
    को चाहिए.."
    Respect Girls and dnt kill them other Wise u will miss that Aanchal:)

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    1. Yaha maa ke aanchal ko yaad kiya gaya hai, Mahashay !

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  2. Kaafi accha likhti ho tum

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    1. Literature wale logo se ye sunke accha lgta hai :)

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  3. Bina beti ke maa ka aanchal kaha se laougi maharani...
    Beti he to maa banegi na bhawarth samjho madam...
    Use ur own mind before leaving
    if u won't save the girls u never have that aanchal...got it mam
    along wid ur msg here m delivering my sincere worries about girls..
    anyways nice thought mam:):D:p

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